paryavaran pradushan nibandh:- इस लेख में 600 शब्दों में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध जानेंगे। paryavaran pradushan nibandh. environmental pollution essay. essay in hindi.
paryavaran pradushan nibandh | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध-कारण और निवारण
प्रदूषण”, एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई नफरत करता है। प्रदूषण किसी को पसंद नहीं, फिर यह आता कहां से है? इसके लिए इंसान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है। यह मानव और उनकी गतिविधियाँ हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती हैं। हमें अपने घर की सफाई करना अच्छा लगता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिस वातावरण में हम सांस लेते हैं वह भी हमारा घर है। बढ़ता प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणियों को भी प्रभावित करेगा।

अब हम पर्यावरण प्रदूषण कारण और निवारण पर पूरी जानकारी के साथ चर्चा करते है।
पर्यावरण प्रदूषण कारण और निवारण के मुख्य बिंदु
- प्रस्तावना
- प्रदूषण का प्रकार
- प्रदूषण के कारण
- पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय
- उपसंहार
प्रस्तावना
हमारे चारों ओर जो भी भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण है वहीं पर्यावरण है। पर्यावरण के साथ सही तालमेल होने से ही व्यक्ति और समाज का विकास संभव हो पाता है। विकास के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति का जिस रूप में दोहन किया और जिस तरह उपयोगी वस्तुओं को नष्ट किया। उससे से प्रकृति का पर्यावरण के साथ इतना संतुलन बिगड़ गया है, कि मनुष्य विनाश के मुख की ओर जा रहा है, इसलिए पर्यावरण प्रदूषण आज सभी व्यक्तियों, देशों के विकास में भूमिका निभाता है प्रदूषण के कारण देश का विकास रुका हुआ है।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
वर्तमान में औद्योगिक क्रांति ने तो वातावरण का वास्तविक स्वरूप ही बदल दिया है। प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार है:-
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
जल प्रदूषण
प्रक्रृति का तीन चौथाई भाग जल से ढका हुआ है, लेकिन उसमें से सिर्फ तीन पर्सेंट पानी पीने योग्य है। जल प्रदूषण के कारण पीलिया, हैजा, जैसी बीमारियां बढ़ रही है। हमारे आसपास में जो भी फैक्ट्री है, उनसे निकलने वाला जहरीला केमिकल पानी में मिलाया जा रहा है, जिससे कि पानी प्रदूषित हो रहा है।
वायु प्रदूषण
उद्योगों का कूड़ा-करकट, वाहन द्वारा छोड़ी जानेवाली गैस आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है। वायु प्रदूषण के द्वारा सन 1948 में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कंपनी गैस कांड में मिक गैस के रिसने से लगभग 2500 लोगों की मौत हो गई।
ध्वनि प्रदूषण
मशीनों की आवाज तथा लाउडस्पीकर आदि के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या भयानक होती जा रही है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य को अनेक मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकारों का सामना करना पड़ सकता है, और पड़ता है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण के कारण में प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं:-
- निरंतर बढ़ते कल कारखानों से निकलती हुआ दुआ
- नदियों तालाबों में गिराए जाने वाला कूड़ा करकट
- वनों की अंधाधुंध कटाई
- रासायनिक खादों का बढ़ता प्रयोग मिट्टी का कटाव तथा निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या
अभी तक पर्यावरण प्रदूषण की समस्या शहरों तक ही सीमित थी परन्तु धीरे धीरे अब गांव भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। कार्बनिक गैसों के अत्यधिक उत्पादन किए जाने से ओजोन परत में छेद हो गया है, जो कि ओजोन परत पृथ्वी की रक्षा कवच कहलाती थी। उसी को मनुष्य नष्ट करके अपने विनाश का दुष्प्रभाव झेल रहा है। वायुमंडल में वृक्षों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है और ऑक्सीजन मात्रा की घटती जा रही है, जिससे दमा जैसी बीमारियां हो रही है।
पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय
बढ़ता हुआ पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है, ग्रामीण लोग जो धीरे-धीरे शहरों की ओर जा रहे हैं, जिस से शहरी आबादी में बढ़ोतरी हुई। बस्तियों में जिस तरह का प्रदूषण है, उससे वित्तीय साधन जुटाकर और मानव में पर्यावरण के प्रति चेतना पैदा करके उस प्रदूषण को हटाया जा सकता है। नदियों में बहाये जाने से पहले कूड़े को हमें दूसरी जगह पर जला दिया जाना चाहिए। उनके उत्पादन में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले ऊर्जा स्रोतों को काम में लेना चाहिए, जैसे कि सौर ऊर्जा और नदिओं के पानी को स्वच्छ रखने के लिए जन जागरण करना चाहिए। हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने का एक उदाहरण है, वर्षा जल संरकक्षण।
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उप संहार
पर्यावरण की स्वच्छता का अर्थ है धरती पर रहने वाले सभी जीवो का अस्तित्व और उनका स्वास्थ्य इसलिए सभी मनुष्य और सभी राष्ट्रों को पर्यावरण के प्रति सही समझ विकसित करने की आवश्यकता है। पर्यावरण हमारे जीवन की प्राथमिकता में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, आवश्यकता इस बात की है, कि सब लोग प्रकृति के साथ तालमेल या सामान्य बैठा कर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए उसको हानि पहुंचाना बंद करें। कहा भी गया है कि प्रकृति हमारी माता है जो अपना सब कुछ अपने बच्चे को अर्पित कर देती है, पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और हम भी स्वस्थ और स्वच्छ रहें।